धीरे-धीरे हर चीज ह नदावत हे
धीरे-धीरे हर चीज ह नदावत हे
का होंगे दाई,,गोबर ह बेचावत है।
गाय बछरू अब नोहर होवत हे
बाचे खोंचे मन सड़क म रोवत है।।
गहूं के संग म कीरा ह पिसावत है
का होंगे दाई, सभ्यता है नदावत हे
मास्टर घलो गदहा के ग पढ़ावत है
बारां बच्छर बितगे त छट्ठी मनावत हे
दुध दही अब नोहर भईगे
गोबर ह बेचावत है
भारत के सुघ्घर सभ्यता
विदेश में भगावत है
धीरे-धीरे हर चीज ह नदावत हे
का होंगे दाई,गोबर ह बेचावत है।।
डां विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग