धीरे धीरे हम बदल जाते हैं।
धीरे धीरे हम बदल जाते हैं। छोड़ ख्वाहिशें मेहनत पर लग जाते हैं,
जिम्मेदारियां कंधों पर आते ही, घर के लिए घर से निकल जाते हैं।
यारी दोस्ती छूट जाती है, और सबकी नजरों में हम बदल जाते हैं,
शौख सभी जेब में रख देते हैं, बस जरूरत के लिए ही जिए जाते हैं।
चाहते हैं जिंदगी है सबकुछ करें, कुछ सोच कर कदम रुक जाते हैं,
ना मोहब्बत के हुए न दोस्तों के, हमे देखकर अब लोग मुड़ जाते हैं।
इस सफर में तय जैसा कुछ नहीं, वक्त के आगे कई काम रुक जाते हैं,
जिंदगी खुश रहकर जिएं, क्योंकि आखिर में तो सब ही मर जाते हैं।