धीमी-सी मौत
सोचो कि आज तक क्या
करते रहे हैं हम!
एक धीमी-सी मौत
मरते रहे हैं हम!!
इज्जत से-दौलत से
ताक़त से-शोहरत से
अपना खोखलापन
भरते रहे हैं हम!
एक धीमी-सी मौत
मरते रहे हैं हम!!
ये क़ौम-नस्ल-फिरका
ये जाति-धर्म-कुनबा
अपनी-अपनी कब्र में
सड़ते रहे हैं हम!
एक धीमी-सी मौत
मरते रहे हैं हम!!
दुनिया क्या कहेगी
लोग क्या सोचेंगे
परछाइयों से अपने
डरते रहे हैं हम!
एक धीमी-सी मौत
मरते रहे हैं हम!!
Shekhar Chandra Mitra
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