*** धीमा जहर ***
ना जाने कौन सा धीमा जहर मेरे सीने में उतर आया है
ना चैन से जीने मुझे देता है ना चैन से मरने मुझे देता है ।।
?मधुप बैरागी
समझ
नहीं
आता
जिंदगी
इतनी
जिद
क्यूँ
करती
है
जीने
के
तमाम
रास्ते
रोककर
जीने
की
कसम
देती
है ।।
?मधुप बैरागी