धारा को जो मोड़ दे
धारा को जो मोड़ दे
ऐसा पतवार बनो तुम
पत्थर को जो चूर करे
ऐसा कांच बनो तुम
तुम वो बीज नही
जिसे बारिश ने सींचा है
तुम वो वृक्ष हो
जिसने रेतों से जीवन खींचा है ।
धारा को जो मोड़ दे
ऐसा पतवार बनो तुम
पत्थर को जो चूर करे
ऐसा कांच बनो तुम
तुम वो बीज नही
जिसे बारिश ने सींचा है
तुम वो वृक्ष हो
जिसने रेतों से जीवन खींचा है ।