धागा
#धागा___________
हाय रे प्रीत का धागा,
बिन डोर बँधा जाये l
कोई रीत नहीं इसकी,
कोई बंधन नहीं इसका l
कोई जात न जाने,
बस बँधा चला जाये l
कलाई में बँधा ये,
सारे वचन निभाए l
कपड़े में बँधा ये,
इज्जत है बचाये l
मौली रूप में बँधा ये,
मन्नत रूप में यह सब पा जाये l
गले में बँधा ये,
हर बुरी नजर से बचाये l
हे धागा तू कितना अच्छा रे,
दुनियाँ के सारे रिश्ते, तुझ में समाये l
✍शीमा डावर