” धागा मन्नतों का “
बचपन से देखते बड़े हुये
इन मन्नतों के धागों को इन पेड़ों पर
गहरी आस्थाओं के साथ बंधे हुये ,
एक – एक धागा बड़े जतन से
बांधा है सबने बड़ी लगन से
ये सोचते हुये की
कभी तो मेरी भी सुनवाई होगी
उपर वाले के करम से ,
हर एक धागा उम्मीदों का
बहुत बड़ा भंडार है
इन्हीं धागों से बंधा
इनके जीवन का संचार है ,
जब मन्नत होगी पूरी
तब इसे खोलने आयेंगे
तभी तो फिर से
दूसरा धागा बाँध पायेंगे ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 25/01/2020 )