भारत
आओ बच्चों तुमको आज भारत माँ की व्यथा बताते है!
बारम्बार हुआ जो अंग-भंग,उसकी ही कथा सुनाते है !!
चन्द्रगुप्त मौर्य काल मे अफगानिस्तान से ब्रह्मदेश तक,
भारतीय सनातन संस्कृति की धर्म धव्जा लहराती थी!
मंगोल शासक इसको सोने की चिडिया कहते न थकते,
जिसको लूटने को सदा ,उनकी जिव्हा लपलपाती थी!!
मुहम्मद गौरी और गज़नवी ने सैकडो बार हमला कर,
लूटा- खसूटा और हिन्दू संस्कृति,औ नर- संघार किया !
सौ-सौ बार मरी है मा की ममता जब उसके लालो ने,
उसका कर्ज चुकाए बिन विदेशी शासन स्वीकार किया!!
मंगोल चंगेज़ खान के वंशज बाबर ने 1526 मे भारत पर
आक्रमण किया और हिन्दुओ ने अपनी अस्मत खोई!
विस्तारवाद धार्मिक शोषण की परिणति पर विलाप कर,
भारत मा सनातन-संस्कृति-संघार पर,फूट-फूट के रोई!!
1699 अंग्रेजो ने ईस्ट इन्डिया कम्पनी व्यापार प्रसार के
लिए कलकत्ता से दिल्ली तक अपने पैर पसारने शुरु किए!
छोटे-छोटे राजाओ को दे वचन सुरछा,उनको लूटा खसूटा!
और शनै शनै ब्रिटिश साम्राज्य ने उन पर कब्जा कर लिए!!
‘बाटो और राज करो ‘ उनकी शासन नीति का हिस्सा थी!
1876 मे 1904 मे नेपाल ,1906 मे भूटान अलग किया!
1914 मे तिब्बत औ 1917 मे ब्रह्मदेश का किस्सा थी!!
और फिर आया विश्ववास घात का काला दिन 14 अगस्त1947
जब चंद पदलोलुप अंग्रेजी चाटुकारो ने देश विभाजन दंश दिया!
विदेशो मे पले-पढे बैरिस्टरो ने भारत मा को धरती का टुकडा मान
धर्म आधारित पूर्वी -पश्चिम पाकिस्तान मे मा को ही बाट लिया!!