धर्म युद्ध जब चलना हो तो
धर्म युद्ध जब चलना हो तो, निमंत्रण नही दिया जाता।
कर्म शुद्ध जब हो अपना तो, इन्तजार नही किया जाता।।
ललित लालसा हो समाज की तो, पुकार नही करी जाती।
ललकार सको जो तुम समाज को तो, हुंकार ही फिर भरी जाती।।
धर्म युद्ध जब करना हो तो, निमंत्रण नही दिया जाता।
मर्म बुद्ध का सुना के हमको, धर्म भुलाया नही जाता।।
भाई चारे का चारा बनकर, बस गोबर नही बना जाता।
सनातनी कुल मे जन्म मिले तो, कायर नही बना जाता।।
क्योंकि…..
धर्म भुलाया जिसने अपना, निर्लज्ज वो हिंदू देखा हैं।
कायरता का पर्याय बना अब, ऐसा हिंदू देखा हैं।।
कहते हैं वो नमकहराम, गजवा ए हिंद बना देंगे।
विश्व गुरु भारत को अब वो, इस्लामिक मुल्क बना देंगे।।
याद रखो तुम बस इतना…
संखनाद हो धर्मयुद्ध का तो, निमंत्रण नही दिया जाता।
धर्म की खातिर कफन बांध कर, खुद ही आना पड़ता हैं।।
कायरता का चोला त्यागो, सिंह रूप दिखलाना हैं।
हिंदू अब आलस्य को त्यागो, वीर रूप दिखलाना हैं।।
राजपूती राजवाड़े जागो, बिन शीश के भी तो लड़ना हैं।
यादव कुल के वीरो जागो, युद्ध कहां तुम बिन चलना हैं।।
जाट बहादुर तुम भी जागो, जय भगवान की करनी हैं।
और गुर्जर मेरे प्यारे जागो, धर्म विजय अब करनी हैं।।
सबसे पहले ब्राह्मण जागो, प्रशस्त मार्ग भी करना हैं।
भटके राह हरिजन जागो, तुम भी कुछ ना होना हैं।।
मर्द मराठा उठकर बैठो, ऐसे काम नहीं होगा।
धर्म की राह पर चलने वाला, अब बदनाम नहीं होगा।।
द्रविड और आर्यो मे अब कोई, संग्राम नही होगा।
भारत के अन्दर अब कोई, पाकिस्तान नही होगा।।
पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण मे, भारत बदनाम नही होगा।
जाति पंथ संप्रदायो मे, सनातन का अपमान नही होगा।।
गुरुओं की सरदारी जागो, तुम बिन हिंद अधूरा हैं।
कैसे तुम ये भूल गए, बलिदान हुआ ना पूरा हैं।।
बहुत बटचुके जात-पात में, अब सत्य सनातन बनना हैं।
रहे नहीं अब एक साथ तो, मार काट फिर मचाना हैं।।
हिंद के प्यारो शेर जागो, फिर धर्मयुद्ध अब चलना हैं।
नहीं हुई जो एकजुट तुम, देश को फिर अब बटना हैं।।
मातृभूमि को बांट-बांट कर, ये जीवन क्या जीवन हैं।
अखंड करो तुम फिर से धरा को, वो जीवन ही जीवन हैं।।
ललकार भारद्वाज