धर्म निरपेक्षता
हमारे दिल में यह ख्याल आता है
जो भीतर तक कचोट सा जाता है ।
रोजगार ,शिक्षा दीक्षा का हक,
देश में रहने का सभी को जाता है ।
अपनी जीवन शैली के अनुसार रहने ,
रीति रिवाज मानने का हक जाता है।
मगर धर्म निरपेक्षता का कर्तव्य ,
सिर्फ हिंदू लोगों पर क्यों जाता है ?
क्यों मुस्लिम / ईसाई संप्रदाय,
होली और दिवाली नहीं मनाता है ।
क्यों हिंदू ही खुले दिल से और, क्रिसमस उल्लास से मनाता है।
क्या धर्म निरपेक्षता का जिम्मा
सिर्फ हिंदुओं ने ले रखा है !
जबकि इस देश को जोड़ने का सभी का कर्तव्य बनता है।