धर्म और आध्यात्म – एक विचार
धर्म और आध्यात्म
@ धर्म और आध्यात्म में से यदि किसी एक को चुनना हो तो तुम आध्यात्म को चुनो , धर्म स्वयं ही तुम्हारी जिन्दगी का हिस्सा हो जायेगा |
@ यदि धर्म में तुम्हारा अटल विश्वास है तो अपने जीवन को साधने के लिये आध्यात्म को एक शस्त्र के रूप में जीवन का हिस्सा बना लो मुक्ति संभव हो जायेगी |
@ धार्मिक कर्मकांड मानसिक एवं आत्मिक शांति के लिए अतिआवश्यक हैं ये मानव मन को पवित्र कर मानव सेवा की भावना से ओतप्रोत करते हैं इन्हे अंधविश्वास से जोड़ना मूर्खता है | श्रीमदभगवद्गीता में इसका उल्लेख है |
@ एक पुण्य आत्मा धर्म और आध्यात्म की एक अनुपम कृति है |
@ धर्म और आध्यात्म का मिलन ही मानव को मोक्ष द्वार की ओर प्रस्थित करता है |
@ स्वयं को संस्कृति और संस्कारों के आँचल तले पुष्पित करो | आध्यात्म स्वतः ही तुम्हारी जिन्दगी का हिस्सा हो जाएगा |
@ मानव सेवा जब तुम्हारे जीवन का लक्ष्य हो जाएगा तुम स्वतः ही धर्म और आध्यात्म की ओर प्रस्थित हो जाओगे |