धरोहर
धरोहर:
परंपराओं के मनोहारी उपहार में
हम धन्य हो गये …
समझ ही नही पाए
उपहार की भारी गट्ठर में
तमाम सृष्टि सिमट गई
धरोहर परंपराओं मे लिपट कर
– धनी विरासत की संस्कृति
सभ्य संस्कार
हार्दिक संवेदना
कण-कण में गूंथ गए.
सृष्टि धरोहर का रूप धारण कर
पृथ्वी की सहनशीलता
पेड़ का सेवाभाव
. जल का जीवन दान
सूर्य की मर्यादा
जीवन में
एक एक करके
घुलते मिलते गये
बड़ों के प्रति श्रद्धा
उनकी धारणा के प्रति आस्था
उनके विचारों के प्रति निष्ठा
यही तो है न
समृद्ध विरासत
कृष्ण की मैत्री
अर्जुन का शौर्य
युद्धिष्ठिर का सत्य
हनुमान की निष्ठा
मीरा की भक्ति
और अनुकरणीय विरासत
कला, साहित्य , संगीत
की अनुपम देन
साहित्य में
शेक्सपियर का दर्शन
वर्ल्डस वर्थ का प्रकृति प्रेम
होमर – डाँटे
गुरु रवीन्द्र नाथ टैगोर
कहानीकार प्रेम चंद
महादेवी का विरह ‘
संगीत की अनमोल धरोहर
संगीत सम्राट तानसेन
दीपक राग गाते तो
दीपक स्वयं जल जाते
मेघराग गाते ही
बादल बरस जाते
शिव की नृत्य साधना
रविशंकर का सितार
सहगल की गायकी ने
हमारी धरोहर को
अतुलनीय बना दिया
धरोहर जिसे आने वाली
पीढ़ी को संस्कृति में लपेट कर
सौंपना है।
डाँ. करुणा भल्ला