*धरा*
अपने आँगन में खेल रही धरा
फूल-फूल को चूम रही है धरा
कलि-कलि संग झूम रही धरा
पवन संग धूम मचा रही है धरा
नदियों संग बहती जाती है धरा
झरना बन संगीत सुनाती धरा
बन दूब ओंस से नहाती है धरा
चिड़ियाँ संग चहकती है धरा
तितली बन उड़ जाती है धरा
खेतों में धान बन लहरती धरा
फल-फूल बन सँवरती है धरा
ममता की प्रति मूर्ति है धरा
चिरकाल से धैर्यशील है धरा
बन शैल गर्वित होती है धरा
धन-धानय से परिपूर्ण है धरा
जन-जन को प्राण देती है धरा
आकाश को पूर्ण करती है धरा
रवि-शशि से पललवित है धरा
बड़ी खूबसूरत व रंगीन है धरा
पूरे ब्रहमाणड में हसीन है धरा।