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24 Jan 2019 · 1 min read

धरा तेरे रूप अनेक

हरी भरी धरा हमारी
रूप अनेक लिए हुए
कभी जल से भरी भरी
कभी पतझड़ से उड़ी उड़ी
आया बसंत जो झूम के
फुलवारी सी बनी धरा

मनमोहक रंग के
दृश्य अनेक
कहीं लाल पीले
हरे नारंगी तो
सतरंगी रूप अनेक

आयो बसंत
बगरो बसंत
सुन्दर बसंत
नाचो बसंत
गाओ बसंत
घर घर में
मनाओ बसंत

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
177 Views
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