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12 Jun 2022 · 1 min read

धरा की प्यास पर कुंडलियां

मेघ देख आकाश में,बढ़ी धरा की प्यास।
कब मिलोगे मेघ तुम,आओ बुझाओ प्यास।।
आओ बुझाओ प्यास,तुम्हारी प्रतीक्षा करूंगी।
आए अगर नही तुम,मै प्यासी ही मरूंगी।।
कह रस्तोगी कविराय,तुम्हारा जाना नही भेद।
आ जाओ जल्द तुम,अब मेरे प्रियतम मेघ।।

उमड़ घुमड़ कर बढ़ रहे,बादल नभ के पार।
देर नही अविलंब अब,हमे मिलेगा प्यार।।
हमे मिलेगा प्यार,अब तुम जल्द ही बरसो।
प्यास से बेहाल हूं,और न कही तुम बरसो।।
कह रस्तोगी कविराय,करो न अब भगड़ भगड।
जल्दी तुम बरस जाओ,करो न अब उमड़ घुमड़।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 180 Views
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