धरती
धरती
मैंने उसको
जब भी देखा,
खिलते देखा
उजड़ते देखा
बहकते देखा
महकते देखा
हंसते देखा
रोते देखा
स्वर्ण सुरभि
छेड़ते देखा
पर इसको
जब………….
कुपित देखा
शक्ति रूप
बदलते देखा
समाहित कर
भूमंडल को
उदर में अपने
धरते देखा ।
धरती
मैंने उसको
जब भी देखा,
खिलते देखा
उजड़ते देखा
बहकते देखा
महकते देखा
हंसते देखा
रोते देखा
स्वर्ण सुरभि
छेड़ते देखा
पर इसको
जब………….
कुपित देखा
शक्ति रूप
बदलते देखा
समाहित कर
भूमंडल को
उदर में अपने
धरते देखा ।