धरती माता
धरती माता
1
धरती माता आप हो , सहनशक्ति का मूल
जन कूड़ा डाले जहाँ , वहाँ उगाती फूल
वहाँ उगाती फूल , धन्य है तेरी माया
जिसको जिसकी चाह , वहीं तुझसे वह पाया
अवधू है हर जीव , तुझे पाकर सुख पाता
नमन करूँ सात बार , तुझे हे धरती माता
2
धरती ढोती है सदा , पूरे जग का भार
सबके सुख के वस्तु का , जिसमें है भंडार
जिसमें है भंडार , हमें करनी है खेती
है न कहीं भूभाग , जहाँ कुछ धारा न देती
वह है चारागाह , जिसे हम समझें परती
सबके सुख का ध्यान ,सदा करती माँ धरती