धरती को तरुओं से सजाना होगा
सूखती नदियां
उजड़ते जंगल
वन्य जीवों का विलुप्त होना
पहाड़ों का खनन
किसी बड़े संकट का संकेत है
विकास नहीं विनास है
कभी प्रकृति को मां कहा जाता था
आज उसी मां के आभूषणों को
बेचा जा रहा है बाजार में
मां की ऐसी उपेक्षा
बन जाए अभिशाप एक दिन
इससे पहले मानव को
उसे सजाना होगा
प्रकृति हमारी धरोहर है
उसे बचाना होगा
बच्चे, युवक, बूढ़े सबको यह
समझाना होगा
तभी सुखद भविष्य की कल्पना साकार होगी
प्रदूषण के इस दौर में
बीमारियों से स्वयं को बचाना होगा
धरती को तरुओं से सजाना होगा