धरती की गोद में
धरती की गोद में,
समाया सारा संसार।
जीवनदात्री तू है सबकी,
उठाया जग का भार।।
तेरी गोद में खेले,
कल-कल करती नदियाँ।
वक्ष पर तेरे बनी,
जाने कितनी पगडंडियाँ।।
ऊँचा खड़ा हिमालय,
तेरी ममता की छांव में।
सरल-स्नेह-सुधा बरसती,
जननी तेरे गांव में।।
रत्न-गर्भ में संचित कर,
रत्नगर्भा कहलाई।
अनुपम छवि प्रकृति ने,
तेरे कण-कण से पाई।।
ओ धरती माँ!सबकी,
तू है जीवन-आधार।
तेरी रज-कण में बसता,
स्वास्थ्य, समृद्धि अपार।।
तेरी गोद में करते,
खग-कुल कलरव।
तेरे बिन जन-जीव का,
होगा जीवन नीरव।।
-शालिनी मिश्रा तिवारी
( बहराइच,उ०प्र० )