धन
हे पिता ! श्रेष्ठ है तू
देखा न तुझ-सा
शील, धैर्य और
असीम शान्त मुख
चट्टान-सा अडिग
तेज-सा सुख
वचन व्दन्द
लक्ष्य परमानन्द
अजर अमर स्थिर
मन की वेदना धीर
रुक रहा ये तन
देख ये आनन्द
तेरा यह भ्रम
धन्य है तू
दिया ये सच्चा धन
कोटि-कोटि प्रणाम
हे ईश्वर ! तू महान ।