धन – दौलत
धन – दौलत मोहमाया है ,
रिश्तों में दूरियाँ डाला है ,
इससे न निपट मोह करना ,
ये हयात नष्ट कर डालता है।
धन – दौलत का लिप्सा ही ,
मनुजों को गढ़ता सूरदास,
आतंकवादी, विश्वासघाती
अपराधी व मंदा मनुज है।
इज्जत, प्रतिष्ठा, ईमान होना ही ,
धन – दौलत का यथार्थ मोल है ,
इज्जत, प्रतिष्ठा, ईमान बचाकर ,
हयात में अर्जित धन – दौलत ही ,
हमारे मंदे वक्त पर काम आता है।
धन – दौलत अर्जित करना ,
हर एक मनुजों की अनुराग ,
इज्जत, प्रतिष्ठा, ईमान गढ़ना ,
हम मनुजों का प्रथम कर्तव्य ।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार