धन तरस
रोशनी लापता है यहाँ,
प्रेम के !
कि दिल के दीये में,
तेल कौन भरे ?
छल के दीपक जलाकर
क्या करूँ?
बच्चा नहीं हूँ
कि पटाखे की हठ भरूँ !
माँ लक्ष्मी से प्रार्थना है,
मेरे यहाँ धन बरसे
या ना बरसे,
पर कोई भी यहाँ
रोटी के लिए ना तरसे !
हरवर्ष ‘धनतेरस’
ग्राहकों के धन का
तेरहवीं कर जाते हैं!
यह तो धन के लिए तरस है,
तेरस नहीं !