धन का भजन
धन का भजन लगे बड़ा निराला
जैसे हो कोई शहद का प्याला
धन का सूरज बड़ा ही काला
न दे पाता जीवन को उजाला
धन तो केवल साधन है साधना नही
धन तो केवल प्राप्य है अराधना नही
धन मोहक तो है मोहन नही
धन प्रिय तो है मगर प्रीतम नही
धन धारण हो धारणा नही
धन भोजन हो भावना नही
धन सम्पति हो संतति नही
धन समाधान हो विपत्ति नही
धन का प्रयोग हो पालन नही
धन का सम्मान हो शासन नही
धन विचार हो आचार नही
धन सक्षम हो लाचार नही