Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2019 · 2 min read

धन्य हम धन्य हमारे साहेब हम दोनों धन्यवाद के अधिकारी …

#धन्य हम #धन्य हमारे #साहेब हम दोनों #धन्यवाद के #अधिकारी
इस फोटो को देख कर क्या लगता है… ???
क्या इन्हें पैसों की जरूरत होगी ?
मतलब रोजी-रोजगार उस से होने वाली आमदनी की जरूरत होगी ???
जिस से इनके पेट की आग बुझे, सर पे छप्पड़ हो। बच्चों को स्कूली शिक्षा, उनके स्वास्थ के लिए अस्पताल, ये सब क्या ?
लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता … पूछिए क्यूँ ?
क्यूँ कि सरकारों को ऐसा नहीं लगता और हम तो पक्के वाले देशभक्त हैं। सरकारों से अलैहदा हम भला कुछ सोच सकते हैं ? ना कभी नहीं
2014 से ही हमारे आंखों में अच्छे दिन का सपना बो दिया गया था। ये अलग बात की अभी पूरा नहीं हुआ तो क्या हुआ ? होता है अभी सिर्फ साढ़े पांच साल में ही ऊब जाएँ और साहेब पर से अपना विश्वास डिगा दें ?
कैसी बात करते हैं ? हम तो अभी सपने सपने में 60 साल और निकाल सकते हैं। का गलत किये साहेब चाहे बीजेप का सरकार अरे इत्ता ही न की हमारे जीने की जरूरत का ख्याल नहीं रख पाए तो इस में इतना का गजब हो गया ? हमारे धरम का रक्षा तो कर रहें हैं न ? धरम बचा रहे, मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा गिरजाघर ई सब बस तन के खड़ा रहे।
लोग ई सब में मरते ही हैं बलिदान भी देते हैं सो जनता अपनी जीने की जरूरतों का बलिदान दे रही है। और ऊ बलिदान हमरे साहेब चाहे उनका अभिन्न अंग थोड़े न ले रहें हैं… ऊ त भगवान सब ले रहें हैं। तो कैसा दिक्क्त हम बलिदानी देश के लोग हैं इत्ता भी नहीं कर सकते का ?
आज तक सब सरकार इस में किसी एक की बात नहीं है, लेकिन हाल में साहेब वाला सरकार हम सब को एक बहुत सुंदर (गांव वाले लोगों को) सपना बेचे थे ‘सांसद आदर्श ग्राम’ जिसमें सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र में एक गांव गोद लेकर उसे दूसरे गांवों के लिए आदर्श बनाना था
वह अपने आप में आदर्श होने के साथ ही दूसरे गांवों के लिए उदाहरण होता विकास को अपने गोद में खेलाता।
सड़क, बिजली, पानी, स्कूल और यहां तक कि आर्थिक रूप से भी उन्नत हो जाता।
लेकिन वो भी नहीं हुआ एको गांव आदर्श गांव न बन पाया, फिर भी हम लोग (गांव के लोग) कोई शिकायत कर रहे हैं का ?
ना करेंगे हमें तो मोदी ही चाहिए, चाहे जो हो जाय।…
क्यूँ कि उस से क्या होता उस से पटेल का मूर्ति थोड़ न बनता ?
राम लला को तिरपाल से मंदिर थोड़ न मिलता ? काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर थोड़ न बनता ?
ये सब जरूरी है की हमारे जैसे छोटे लोगों के बारे में सोचेंगे ? बेवकूफ़…
…जय हो
…सिद्धार्थ

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 2 Comments · 222 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सामने मेहबूब हो और हम अपनी हद में रहे,
सामने मेहबूब हो और हम अपनी हद में रहे,
Vishal babu (vishu)
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
नज़र में मेरी तुम
नज़र में मेरी तुम
Dr fauzia Naseem shad
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
प्रेम
प्रेम
Prakash Chandra
मैं तो महज एक माँ हूँ
मैं तो महज एक माँ हूँ
VINOD CHAUHAN
अब खयाल कहाँ के खयाल किसका है
अब खयाल कहाँ के खयाल किसका है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"जाल"
Dr. Kishan tandon kranti
हम हिंदुस्तानियों की पहचान है हिंदी।
हम हिंदुस्तानियों की पहचान है हिंदी।
Ujjwal kumar
"Sometimes happiness and peace come when you lose something.
पूर्वार्थ
2817. *पूर्णिका*
2817. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गाजी की सातवीं शक्ति देवी कालरात्
नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गाजी की सातवीं शक्ति देवी कालरात्
Shashi kala vyas
एक दिन जब वो अचानक सामने ही आ गए।
एक दिन जब वो अचानक सामने ही आ गए।
सत्य कुमार प्रेमी
ज्ञानवान के दीप्त भाल पर
ज्ञानवान के दीप्त भाल पर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मिट्टी बस मिट्टी
मिट्टी बस मिट्टी
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
करवाचौथ
करवाचौथ
Satish Srijan
रेस का घोड़ा
रेस का घोड़ा
Naseeb Jinagal Koslia नसीब जीनागल कोसलिया
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
Er. Sanjay Shrivastava
तुम्हे शिकायत है कि जन्नत नहीं मिली
तुम्हे शिकायत है कि जन्नत नहीं मिली
Ajay Mishra
"अदृश्य शक्ति"
Ekta chitrangini
जिस आँगन में बिटिया चहके।
जिस आँगन में बिटिया चहके।
लक्ष्मी सिंह
बहू-बेटी
बहू-बेटी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
क्या खूब दिन थे
क्या खूब दिन थे
Pratibha Pandey
संसार में
संसार में
Brijpal Singh
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
abhishek rajak
अवसर
अवसर
Neeraj Agarwal
#लघु_व्यंग्य
#लघु_व्यंग्य
*Author प्रणय प्रभात*
संवेदना सुप्त हैं
संवेदना सुप्त हैं
Namrata Sona
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
शेखर सिंह
Loading...