धन्य सूर्य मेवाड़ भूमि के
** गीतिका **
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कुम्भलगढ़ का दुर्ग धन्य है, धन्य धन्य है राजस्थान।
धन्य सूर्य मेवाड़ भूमि के, महाराणा प्रताप महान।
शौर्य पराक्रम और त्याग का, जिसने रच डाला इतिहास।
मान हुया अकबर का मर्दन, लौटी मातृभूमि की शान।
नामंजूर किए अकबर की, पराधीनता के प्रस्ताव।
जीत नहीं पाया प्रताप को, सनकी बादशाह शैतान।
बातें करता खूब हवा से, चेतक था उनका प्रिय अश्व।
हल्दीघाटी रण में जिसने, खूब मचा दिया घमासान।
आजीवन संघर्ष किया पर, कभी नहीं मानी है हार।
साथ रहे कुल देव हमेशा, शंकर एकलिंग भगवान।
राणा सांगा बप्पा रावल, राणाजी कुम्भा हम्मीर।
आज सभी वीरों के पग में, नतमस्तक है हिन्दुस्तान।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)