धन्य ये जीवन होगा
उल्लास तो तुमने
सबसे ले लिया,
कभी दुःख किसी का
लिया क्या,,
अगर हो सके तो इकबार
किसी बिखरते प्राण को
प्रयास करो जोड़ो
कहो पुनः जी जाओ..
मुरझाते पुष्प पर
ठंडी ठंडी शीतल बूंदों की
संजीवनी छिडको ,
कहो पुनः खिल जाओ ….
हँसते तो सबके साथ हो
किसी रोते को हंसाओ ,
खुद के लिए जीते हो रोज़
इक रोज़ किसी के लिए जी जाओ….
मुक्तामणि ह्रदय की
किसी निर्धन को भेंट चढाओ ,
स्नेह सुधा की पावन वर्षा
बंजर धरती पे बरसाओ…
दुखनिशा से घिरे मनु को
क्षण भर यदि दे सके तुम
सुख की अनुभूति ,
विश्वास करो तुम ,
वह क्षण ही शाश्वत होगा,
धन्य ये जीवन होगा….
धन्य ये जीवन होगा ….
नम्रता सरन “सोना”