धन्यवाद भगवन
पल भर का साथ नहीं
वो था न्यारा अहसास,
तुम्हें मालूम नहीं चला
था वो बेहद खास।
तूं बंध गया जभी
नेह की डोर से,
महक रहा था बस
स्नेह सब ओर से।
तू छूं रहा रूह से
इतना जबरदस्त,
छिटक कर भी
स्मृति से थे ग्रस्त।
ना चाह कर भी
कलम चल रही है,
तेरी बीती बातों से
आंखें भिगो रही है।
बस वही बीती बातें,
मधुर मन की मधु यादें।
अपनेपन का अहसास,
मन का बिखरा विश्वास।
एकाएक मन सम्भल गया
सच्चाई से जुड़ गया।
कहां था वो अपना??
वो तो था बस एक सपना।
सफर में तो न जाने
कितने मिलते हैं,,
थोड़ी देर के बाद
अपनी-अपनी मंजिल
को ही पकड़ते हैं।
धन्यवाद भगवन
मुझे उस अहसास से
निकलने में
अपनी मस्ती में
मस्त रखनें में।।
-सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान