धड़कन
🙏मंच को मेरा नमन🙏
दिनाँक -19.04.2022
@(मंगलवार )@
विषय—- धड़कन
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भावों के संग संग रिश्ता बाँधे तुम,
ऐ-धड़कन
तेरा अदृश्य रूप यूं लरजता है।
धक धक करती जब मेरे सीने में,
मेरे होने का एहसास उपजता है।
तू है तो ख्वावों की दुनिया में वो
तमन्ना की सुख घड़ियाँ पलती हैं।
सपनों के पंखों में भरके जान इस,
मिट्टी की मूरत में साँसे चलती हैं।
खुशियों की आवत पाकर धड़कन,
तीव्र गति में उड़ती बढ़ती चलती है।
गम के पल भी कहीँ पिछड़ न जाये,
धक धक लय ताल भय संग वहाँ फलती है।
यह धड़कन बसती हर इक रिश्ते में,
पल -पल रूप अनोखा बदलती है।
वक्त की चाल से तालमेल बिठाकर,
कभी सूक्ष्म कभी वृहद भाव से धड़कती है।
भावों के संग संग रिश्ता बाँधे तुम,
ऐ-धड़कन
तेरा अदृश्य रूप यूं लरजता है।
धक-धक करती जब मेरे सीने में,
मेरे होने का एहसास उपजता है।।
शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश 🙏