Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Nov 2022 · 6 min read

धड़कन – चन्दन ,- चितवन

उस रात करीब 9 बजे मैं मेडिकल कॉलेज की एक शांत इमरजेंसी में ड्यूटी कर रहा था तभी वार्ड बॉयज एक ट्रॉली पर लेटे किसी व्रद्ध को तेज़ी से घसीटते हुए ले कर अंदर आये । वो लम्बे कद काठी वाले जिनके पैर ट्राली से बाहर लटक रहे थे जो सफेद सिल्क का कोपीन वस्त्र धारण किये अपने झक्क सफेद कंधे तक लम्बे बाल और छाती तक लटकती दाढ़ी से करीब पछत्तर वर्षीय ओजस्वी सन्त महात्मा प्रतीत होते थे । साथ आये लोग बता रहे थे कि बाबा जी दुर्गा पूजा के पंडाल में धूनी की आरती कर रहे थे और अचानक सीने में दर्द की शिकायत करते हुए गिर पड़े । बिना एक पल गंवाए मैं उनके पास खड़ा था पर लगा उनके परीक्षण के लिए न उनके पास नब्ज़ बची थी और न मेरे पास समय , वे उस समय अपनी अंतिम साँसों से जूझ रहे थे । उन्हें छूते हुए मैंने स्टाफ नर्स से दो अमपुल्स एड्रीनलीन भरने के लिये कहा और उनकी सफेद दाढ़ी और छाती के बालों की बीच अपनी उंगलियों से टटोलते हुए उनकी छाती की बाईं ओर दूसरी और तीसरी पसली के बीच से एक लंबी सुई भोंक दी , लाल खून की एक पतली सी धार सिरिंज में दिखाई देते ही अपने सधे हाथों से वो दवा अंदर डाल कर में उनकी छाती दबा – दबा कर उन्हें कृतिम श्वास देने लगा । इस उपक्रम को करते हुए मुझे वातावरण में एक भीनी भीनी मोहक सी लोबान , गुग्गुल और चंदन की मिश्रित खुशबू का अहसास हुआ जिसके स्रोत को तलाशते हुए मेरी निगाह बाबा जी के सिल्क सफेद बालों से उठते हुए उनके पार्श्व में खड़ी लम्बे घने खुले बालों वाली युवती पर गई जो भयाक्रांत हो वहीं पास में खड़ी बड़ी देर से अपनी पलकों के साये तले झील समान अश्रुपूरित डबडबाई आंखों और कांपते होठों से बुदबुदाते हुए , करबद्ध मुद्रा में कुछ प्रार्थना कर रही थी और बीच बीच में कह रही थी –
” डॉक्टर साहब बाबा जी को बचा लो ”
यह खुशबू बाबा जी की सफेद दाढ़ी से आ रही थी या उस युवती के काले लम्बे बालों से या फिर दोनोँ में ही रची बसी थी पहचानना मुश्किल था । उस विषम परिस्थिति में बाबा जी बचें गें या परलोक सिधारें गें ये न मैं जानता था न वो युवती। पर मेरे अभ्यस्त हाथ बाबा जी के पुनर्जीवन के प्रयासों को यांत्रिक गति से किये जा रहे थे । अपने उन प्रयासों को दोहराते हुए हुए एक क्षण को ख्याल आया कि अगर अभी इस युवती का ये हाल है तो अगर कहीं बाबा जी पुनर्जीवित न हुए तो इसका क्या हाल हो गा ? पर शायद यह उस दवा और मेरे प्रयासों के बजाय उसकी दुआ का ही असर था कि इस बीच धीरे धीरे बाबा जी की सांस और ह्रदय गति लौटने लगी , और उनकी नब्ज़ ने भी गति पकड़ ली थी । ऐसे यादगार नतीजे किसी चिकित्सक के जीवन में बिरले ही मिल पाते हैं । फिर ई सी जी के उपरांत उनके ह्रदय आघात की पहचान कर उन्हें आई सी सी यू भिजवा दिया गया।
अगले दिन आवर्तन पर मैं आई सी सी यू में ड्यटी कर रहा था । मेरे सामने वही बाबा जी अन्य मरीजों के बीच आराम से लेटे हुए थे , अब उनकी धड़कन सामान्य चल रही थी । उनकी दो शिष्याओं में से एक उनके गले का नेपकिन ठीक कर रही थी और दूसरी उनको सूप पिला रही थी । मैंने पास जा कर बाबा जी का चिकित्सीय हाल लिया और पाया कि वहां पर कल वाली वो शिष्या नहीं थी जो उनको भर्ती कराने लाई थी ।

बात आई गई हो गयी । फिर इस बात को कुछ हफ्ते या माह गुज़र गए । एक दिन मैं किसी शाम को गुमटी नम्बर पांच के भरे बाज़ार की भीड़ से गुज़र रहा था कि अचानक पीछे से किन्ही कोमल उंगलियों ने मेरा हाथ कस कर पकड़ कर खींच लिया , पलट कर देखा तो वो बोली चलिए आश्रम चलिए बाबा जी से मिल लीजिये वो अब बिल्कुल ठीक हैं , आपको देख कर बहुत प्रसन्न हों गें । अपनी स्मृति पर ज़ोर डालते हुए मैं अभी उसको पहचानने की कशमकश में लगा था कि उसके हर्षोल्लास से भरे उसके सांवले चेहरे पर टिकी एक छोटी सी काली बिंदी के दोनों ओर तनी धनुषाकार भवों के नीचे स्थित घनी पलकों के साये में उसकी झील सी आखों ने और उनकी किसी काजल eye लाइनर से बनी जैसी निचली पलक पर खुशी से छलक आई चमकती पानी की लकीर ने उस लोबान और चंदन की खुशबू की याद ताज़ा कर दी जो सम्भवतः उस रात दुर्गा पूजा पंडाल में चल रही धूनी आरती को बीच में से छोड़ कर आते समय उसके और बाबा जी के बालों में समा कर आ रही थी । भाव विव्हल , अपनी धवल मुस्कान और सजल नेत्रों से कृतज्ञता व्यक्त करते हुए वो अपने आग्रह पर अटल थी कि बाबा जी से मिलने चलो , वो यहीं पास की काली बाड़ी आश्रम में रहते हैं ।
बात करते समय या मौन रहते हुए , भावातिरेक में यदि किसी की आंखे सजल हों उठें तो उसे मैं सम्वेदनशील व्यक्तित्व का धनी और इसे एक परम् मानवीय गुण मानता हूं ।
इससे पहले कि उसकी आत्मीयता मुझपर हावी हो पाती क्षण भर में अपनी उहापोह पर विजय पाते हुए मैंने उससे अपना हाथ छुड़ा लिया , जिसका शायद उसे पता भी न चला। फिर यह सोचते हुए कि अगले दिन मेरा case प्रेजेंटेशन है , मैं उससे नामालूम किस व्यस्तता का बहाना बना कर उसके द्वारा प्रदत्त सम्मान को मौन स्वीकृति दे अपने को धन्य समझ होस्टल वापिस आ गया । वापसी में तेज़ कदम चलते हुए मैं सोच रहा था कि यदि उस दिन वो बाबा जी को लाने में अगर और कुछ देर कर देती और अगर कहीं उस दिन बाबा जी परलोक सिधार गए होते तो शायद इन्हीं भवों के बीच टिकी छोटी सी काली बिंदी के दोनों ओर उसकी आंखों में क्रोध से धधकती दो ज्वालामुखियों से उसने मेरा स्वागत किया होता और मेरा हाथ पकड़ने के बजाय उसके नाखूनों के निशान मेरे गालों पर होते , दोनों ही स्थितियों के बीच फर्क सिर्फ बाबा जी के रहने या न रहने का था !
पर फ़िलहाल तो बाबा जी की ज़िंदगी में उसका किरदार किशोर दा के गाये गीत की पंक्तियां –
” तू धड़कन है एक दिल के लिये , एक जान है तू जीने के लिए ….”
उस पर भी कहीं चरितार्थ हो रहीं थीं , जिसके सही समय पर किये प्रयासों और प्रार्थना ने किसी की ज़िन्दगी की बुझती लौ जला दी थी।
इस बात को बीते कई दशक गुज़र चुके हैं पर जब कभी आकाश में सफेद और काले बादलों के किनारों बीच चमकती एक किरण की झलक दिखती है तो बरबस सफेद दाढ़ी और काले बालों के बीच वो सजल नेत्रों की निचली पलक पर खुशी से छलकती , चमकीली पानी की लकीर और हवा में लोबान और चंदन की महक ताज़ा हो जाती है ।
कभी कभी हम लोग विषम परिस्थितियों में निष्काम भाव से नतीज़े की परवाह किये बगैर असाध्य रोगियों का इलाज करते हुए बड़े भावनात्मक तनाव से गुज़रते हैं और अक्सर अपने पूरे धैर्य एवम दक्षता से उनसे निपटने के प्रयास में व्यस्त रहते है । व्यस्तता के उन क्ष्णों के बीच गुज़रती ज़िंदगी कभी कभी एक ऐसे पड़ाव को छोड़ आगे निकल जाती है जिसे कभी बाद में पलट कर देखने पर वो जीवनभर के लिये एक आनन्ददायी मधुर स्मृति और उसे दोबारा जी लेने की ललक बन शेष रह जाती हैं । ये स्मृतियां ही किसी चिकित्सक के जीवन के लिए आनन्द की अनमोल धरोहर हैं वरना उसके जीवकोपार्जन हेतु पैसे दे कर परामर्श लेने वाले तो जीवन भर मिलते हैं पर कभी कभार किसी के आभार व्यक्त करते सजल नेत्रों से जो पहचान प्राप्त होती है वही उसके संघर्ष का सच्चा पारितोषिक है , इसे कभी चूकना नहीं और मिले तो संजों के रखना चाहिये ।
===÷÷÷÷÷÷======÷÷÷÷÷÷========
DISCLAIMER
DEAR FRIENDS
उस दिन उस काली बिंदी वाली के पीछे काली बाड़ी इस लिए मैं और नहीं गया था कि तब मैं एक लाल बिंदी वाली का हो चुका था ।

Language: Hindi
180 Views

You may also like these posts

हमें सकारात्मक और नकारात्मक के बीच संबंध मजबूत करना होगा, तभ
हमें सकारात्मक और नकारात्मक के बीच संबंध मजबूत करना होगा, तभ
Ravikesh Jha
वो ठोकर से गिराना चाहता है
वो ठोकर से गिराना चाहता है
अंसार एटवी
दुर्लभ अब संसार में,
दुर्लभ अब संसार में,
sushil sarna
लोगों की अच्छाईयांँ तब नजर आती है जब।
लोगों की अच्छाईयांँ तब नजर आती है जब।
Yogendra Chaturwedi
गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी
Surinder blackpen
परम तत्व का हूँ  अनुरागी
परम तत्व का हूँ अनुरागी
AJAY AMITABH SUMAN
किसी ने प्रेरित किया है मुझे
किसी ने प्रेरित किया है मुझे
Ajit Kumar "Karn"
मोहब्बत ने तेरी मुझे है सँवारा
मोहब्बत ने तेरी मुझे है सँवारा
singh kunwar sarvendra vikram
रुक्मणी
रुक्मणी
Shashi Mahajan
अनंत आकाश
अनंत आकाश
Chitra Bisht
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तुम्हे बेइंतहा चाहा है।
तुम्हे बेइंतहा चाहा है।
Rj Anand Prajapati
" इम्तिहां "
Dr. Kishan tandon kranti
अमृत और विष
अमृत और विष
Shekhar Deshmukh
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
#आज_का_संदेश
#आज_का_संदेश
*प्रणय*
साथी तेरे साथ
साथी तेरे साथ
Kanchan verma
जो अच्छा लगे उसे अच्छा कहा जाये
जो अच्छा लगे उसे अच्छा कहा जाये
ruby kumari
3255.*पूर्णिका*
3255.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज़रूर है तैयारी ज़रूरी, मगर हौसले का होना भी ज़रूरी
ज़रूर है तैयारी ज़रूरी, मगर हौसले का होना भी ज़रूरी
पूर्वार्थ
हौसला देने वाले अशआर
हौसला देने वाले अशआर
Dr fauzia Naseem shad
दिल की बात
दिल की बात
Ranjeet kumar patre
श्रृंगार
श्रृंगार
Neelam Sharma
एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती,
एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती,
प्रेमदास वसु सुरेखा
बहाव संग ठहराव
बहाव संग ठहराव
Ritu Asooja
मैं प्रगति पर हूँ ( मेरी विडम्बना )
मैं प्रगति पर हूँ ( मेरी विडम्बना )
VINOD CHAUHAN
मर्यादा पुरुषोत्तम राम
मर्यादा पुरुषोत्तम राम
Ramji Tiwari
हां वो तुम हो...
हां वो तुम हो...
Anand Kumar
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
शेखर सिंह
Loading...