Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Nov 2020 · 3 min read

द ग्रेट पॉलीटिकल ड्रामे का सुपर परफॉर्मर है ‘अर्नब ‘

सुशील कुमार ‘नवीन’

आप सोच रहे होंगे कि आज सूरज कौन सी दिशा में जा रहा है। गलत दिशा तो नहीं पकड़ ली है। घबराइए मत। सूरज भी अपनी सही दिशा में है और हम भी। आप भी न रामलाल जी की तरह है छोटी-छोटी बातों पर गम्भीर हो जाते हो । रामलाल जी कौन है? अरे भाई। वो भी हमारे एक मित्र हैं आप लोगों की तरह। देश-दुनिया के प्रति सुबह से लेकर शाम तक फिक्रमंद रहते हैं।

खैर इस बारे में फिर बात करेंगे। आप तो आज की सुनो। बाजार की तरफ से आते हुए उनसे मुलाकात हो गई। दो दिन से अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी का मुद्दा लगातार चर्चा में है। वो कुछ बोलते इससे पहले आज हमने ही शब्दों के बाण छोड़ दिए।

बोले-भाई साहब, ये अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी का क्या मामला है। कानूनी कार्रवाई कम ड्रामा ज्यादा दिख रही है। दो दिन से मामले को सही या गलत प्रमाणित करने में बुद्धि चकरा रही है। आप ही इस बारे में कुछ बताएं।

हमारे कथन को उन्होंने भी बड़ी गम्भीरता से लिया। बोले- ड्रामे देखने में तो आपकी भी पूरी रुचि है। यूं समझिए ये भी एक ड्रामा ही है। हम बोले-एक पत्रकार की गिरफ्तारी का ड्रामे से क्या मेल? समझ नहीं आया। थोड़ा विस्तार से समझाओ।बोले-अपने यहां यथार्थ की जगह अवसरवादी नाटक की प्रमुख श्रेणी हैं। इन दिनों वही नाटक खेला जा रहा है। जब से मुम्बई आया है मंगलाचरण में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी। मंगलाचरण में ही ये इतना समय ले लेता है कि नाटक के अन्य अंगों को उभरना तो दूर कुछ कहने तक का मौका ही नहीं मिलता। प्रधान नट के रूप में लगातार अपनी स्वयंप्रभा की प्रशंसा तब तक जारी रखता जब तक अगले के सिर में दर्द न हो। नाटक के बीच में नट, नटी सूत्रधार इत्यादि के परस्पर वार्तालाप का अवसर नाममात्र का ही छोड़ता है। कई बार तो नाटक का प्रस्ताव, वंश-वर्णन आदि विषय शून्य में विलीन होकर रह जाते हैं।

उनका बोलना लगातार जारी था। एक जिम्मेदार श्रोता के रूप में हम भी रसास्वादन में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। बोले-महोदय प्रासंगिक ‘इतिवृत्त’ के माहिर हैं। सो इतिवृत्त के प्रधान नायक की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधे पर रहती है। अवस्थानुरुप अनुकरण या स्वांग ‘अभिनय’ है। इसमें वे आंगिक, वाचिक, आहार्य और सात्विक रूप का ये भरपूर इस्तेमाल करते है। नाटक में बीज, बिंदु, पताका, प्रकरी और कार्य इन पांचों के द्वारा प्रयोजन सिद्धि इनके नाटक से पूरी हो ही जाती है।

मैंने कहा-ये तो ठीक है पर अब आगे क्या होगा। बड़े-बड़े नेता, मंत्री भी उसके समर्थन में बोल रहे हैं। बोले-लिखवा लो, छोरा पक्का राज्यसभा में जाएगा। मैंने कहा-राजनेता वाला कोई गुण तो उसमें है ही नहीं। बोले-गुणों से तो भरा पड़ा है। पक्का मुंहफट है। इसके सामने कोई दूसरा बोलकर तो देखे। इसकी तो आवाज ही सदन में गूंजने के लिए बनी है। मैंने कहा-कोई पार्टी इसे अपने साथ कैसे लेगी। ये तो नेताओं की बहुत बेइज्जती करता है। बोले-नेता बन जाएगा, तब सब छोड़ देगा। देखा नहीं, राजनीति का चोला धारण करते ही सब रंग बदल जाते हैं। ये भी बदल लेगा। मैंने कहा-तो फिर ये समर्थन और विरोध का क्या चक्कर है। बोले-समर्थन करने वाले इसे अपनी टोली में शामिल करना चाहते हैं। विरोध वालों की मंशा है कि ये चुप्पी साध ले।

मैंने कहा-जरूरी तो नहीं कि वो राजनीति में आए। वो बोले- चोट खाया शेर है। ये क्या करेगा, सिर्फ यही जानता है। हालातों को देखते हुए इसकी सम्भावना ज्यादा ही है। कुछ भी हो सकता है। पर ये पक्का तय है कि द ग्रेट पॉलीटिकल ड्रामे का सुपर परफॉर्मर यही बनेगा। यह कहकर वो तो निकल गए। मेरे साथ आप भी सोचिए कि आगे क्या होगा। ये तो अभी भविष्य के गर्भ में है पर रामलाल जी की बात भी दरकिनार करने वाली नहीं है।

(नोट:लेख मात्र मनोरंजन के लिए है। इसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है)
लेखक:
सुशील कुमार ‘नवीन’
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद है।
96717-26237

Language: Hindi
Tag: लेख
267 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विवाह का आधार अगर प्रेम न हो तो वह देह का विक्रय है ~ प्रेमच
विवाह का आधार अगर प्रेम न हो तो वह देह का विक्रय है ~ प्रेमच
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हकीकत
हकीकत
dr rajmati Surana
नानी का घर
नानी का घर
सुरेश ठकरेले "हीरा तनुज"
बदल रहा है ज़माना मगर अंदाज़ नये है ।
बदल रहा है ज़माना मगर अंदाज़ नये है ।
Phool gufran
निकल पड़े है एक बार फिर नये सफर पर,
निकल पड़े है एक बार फिर नये सफर पर,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
" स्वर्ग "
Dr. Kishan tandon kranti
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
Rj Anand Prajapati
मैं अकेला महसूस करता हूं
मैं अकेला महसूस करता हूं
पूर्वार्थ
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की
Ansh Srivastava
कैसे आये हिज्र में, दिल को भला करार ।
कैसे आये हिज्र में, दिल को भला करार ।
sushil sarna
चलो रे काका वोट देने
चलो रे काका वोट देने
gurudeenverma198
ग़म-ख़ुशी सब परख के चुप था वो- संदीप ठाकुर
ग़म-ख़ुशी सब परख के चुप था वो- संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
11) “कोरोना एक सबक़”
11) “कोरोना एक सबक़”
Sapna Arora
तुम
तुम
हिमांशु Kulshrestha
जीवन और जिंदगी
जीवन और जिंदगी
Neeraj Agarwal
3226.*पूर्णिका*
3226.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
Shweta Soni
मोहब्बत
मोहब्बत
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*पुस्तक*
*पुस्तक*
Dr. Priya Gupta
सत्ता
सत्ता
DrLakshman Jha Parimal
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
समन्वय
समन्वय
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
Abhishek Soni
जागे जग में लोक संवेदना
जागे जग में लोक संवेदना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ظاہر ہے اس سے دیکھئے عظمت رسول کی
ظاہر ہے اس سے دیکھئے عظمت رسول کی
अरशद रसूल बदायूंनी
Poem
Poem
Prithwiraj kamila
बिगड़ी छोटी-छोटी सी बात है...
बिगड़ी छोटी-छोटी सी बात है...
Ajit Kumar "Karn"
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
Sanjay ' शून्य'
हर शख्स तन्हा
हर शख्स तन्हा
Surinder blackpen
Loading...