द्वार खुले, कारागार कक्ष की
द्वितीय घड़ी, वह कृष्ण पक्ष की
द्वार खुले, कारागार कक्ष की
उमड़ घुमड़ घन, शोहर गाते
शेषनाग फन, छप्पर छाते
माँ यमुना हैं, चरण पखारत
लालच नारद, मुनि को आवत
पाप हरो, वसुंधरा वक्ष की
द्वार खुले, कारागार कक्ष की
अंधियारों में हुए नन्दलाला
झूम उठे, गोकुल के ग्वाला
उज्ज्वल रूप, शीतल हरि छाया
यशोमती हदय, मातृ धन माया
प्रथम आहूति, पूतना भक्ष की
द्वार खुले, कारागार कक्ष की
गेंद का प्रभु, किये बहाना
सरिता में कूंदे फिर कान्हा
विषधर नाग को, नाथ कर लाना
उस के फन पर, नाचे कान्हा
धरणी डोल, उठी हैं अक्ष की
द्वार खुले, कारागार कक्ष की
मित्रता उनकी, बड़ी निराली
भोग करा, उठावे थाली
जातुधान का, किया संघार
हरि हर का, वह अवतार
सत्य धर्म के, हुए रक्ष की
द्वार खुले, कारागार कक्ष की