द्रुत विलम्बित छंद (गणतंत्रता दिवस)-‘प्यासा”
द्रुत विलम्बित छंद
( गणतंत्रता )
-‘प्यासा
सुखद है गणतंत्र सदा सदा।
समझ लो यह मंत्र स्वतंत्रता।
यह वही दिन वक्त विधान का।
लिखित रूप मिला अधिकार का।।१
अब हमे दिन और सु-धारना
चल चलें पथ देश बुला रहा।
धरम है रख लो सब आन को ।
ध्वज तिरंगक गा मुसका रहा ।।२
गगन रंग तिरंग बना रहा ।
प्रकृति को अपने बदलो अभी।
तन भरो नित देश विधान को।
मगन हो तुम गा हित गान को।।३
सफल हो जिससे गणतंत्रता ।
नकल लो तुम पूर्वज जो कहे।
अकल को तुम लो अपने जगा।
सफल हो जिससे गणतंत्रता।४।
–‘प्यासा’