दौर नही अब
रूठने मनाने का दौर नही अब
तू रूठा तो मनाने वाला कोई न होगा।
आंसू गर तेरी आँखों से कोई छलका
छुपा लेना यहां पोंछने वाला कोई न होगा।।
तन्हाई में ही जीने की आदत बना ले तू
इसमें तेरा साथ देने वाला कोई न होगा।
ये दुनिया भरी है मतलब के लोगों से
तेरा हाल भी पूछने वाला कोई न होगा।।
वीर कुमार जैन ‘अकेला’