सोचा नहीं था एक दिन , तू यूँ हीं हमें छोड़ जाएगा।
शातिर हवा के ठिकाने बहुत!
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कांटों में जो फूल खिले हैं अच्छे हैं।
उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
रिश्ता तुझसे मेरा तभी टूटे,
मुकद्दर से बना करते हैं रिश्ते इस ज़माने में,
मनुष्य अंत काल में जिस जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर त्य
*अभिनंदन श्री अशोक विश्नोई जी ( दो कुंडलियाँ )*
*** सैर आसमान की....! ***
फिर किस मोड़ पे मिलेंगे बिछड़कर हम दोनों,
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
सत्यव्रती धर्मज्ञ त्रसित हैं, कुचली जाती उनकी छाती।
इज़ाजत लेकर जो दिल में आए