दो शरारती गुड़िया
दो शरारती गुड़िया-*(बाल कविता)*==============
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है हमारी दो प्यारी-प्यारी गुड़िया।
बहुत शरारती है ये दोनों गुड़िया।।
बड़ी गुड़िया वागीशा याने किक्कू।
छोटी गुड़िया नियती याने निक्कू।।
इनकी मेमोरी शक्ति गजब तेज है।
दोनों की श्रवण शक्ति बड़ी तेज है।।
इंदौर जन्मभूमि है दोनों गुड़िया की।
स्वर्णलता मम्मी है दोनों गुड़िया की।।
दोनों सुबह उठती गुड मॉर्निंग कहती।
फिर ये दोनों नित्य कार्य किया करती।।
मम्मी बुलाती, दोनों को स्नान कराती।
इने तैयार करती, चाय-नाश्ता कराती।।
सारे दिन घर में,ये दोनों खेला करती।
ये अजीब-अजीब खेल खेला करती।।
दोनों गुड़िया खेल-खेल में लड़ पड़ती।
फिर दोनों एक हो जाती, हंस पड़ती।।
दोनों गुड़िया कोई बात नहीं भूलती।
नकल उतारना, ये दोनों नहीं चूकती।।
ये कितनी प्यारी-प्यारी बातें करती।
ये दोनों सबके मन बहलाया करती।।
पर दोनों शरारत करना नहीं भूलती।
दोनों मम्मी-पापा की भी नहीं सुनती।।
पर इनकी शरारतें- मन को मोह लेती।
मोबाइल / टीवी ! खुद ही चला लेती।।
ये कार्टून /पोयम देखना पसंद करती।
ये बड़ों की पसंद की परवाह न करती।।
दादा-दादी भी मन मार कर रह जाते।
अपना धार्मिक चैनल नहीं देख पाते।।
यहीं हाल नाना-नानी का भी होता है।
जब गुड़ियों का उज्जैन आना होता है।।
नाना-नानी भी अपना चैनल न देखते।
इनके साथ में कार्टून/पोयम ही देखते।।
मौसी-मामा गुड़ियों को परेशान करते।
पर ये दोनों उल्टे सवाल-जवाब करते।।
दोनों गुड़ियों से बातों में जीत न पाते।
इनके मामा और मौसी भी हार जाते।।
परिवार में इनसे कोई नहीं जीत पाते।
इनकी शरारतें, बातों का आनंद उठाते।।
कितनी चंचल-निर्मल-कोमल है ये दोनों।
दो सुन्दर प्यारी-प्यारी कलियां है ये दोनों।।
ईश्वर भी हार जाते है ऐसे बच्चों के आगे।
सभी झुक जाते है- इनकी जिद के आगे।।
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रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल==
====*उज्जैन*{मध्यप्रदेश}*====
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