“दो वक्त की रोटी”
घर से गली, गली से गांव, गांव से शहर, तक घूमता हूं।
मैं गरीब अपने लिए, नौकरी ढूंढता हूं।
भगवान की बनाई ,इस खूबसूरत दुनिया में।
अपने परिवार की खातिर ,दो वक्त की रोटी खोजता हूं।
घर से गली, गली से गांव, गांव से शहर, तक घूमता हूं।
मैं गरीब अपने लिए, नौकरी ढूंढता हूं।
भगवान की बनाई ,इस खूबसूरत दुनिया में।
अपने परिवार की खातिर ,दो वक्त की रोटी खोजता हूं।