Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2020 · 2 min read

दो वक़्त की यारी का फर्क

आज कुछ पुरानी बातों को याद कर एक नई दास्तां लिखते हैं,
मिसाल है जो दोस्ती की जग में उनके बारे में बात करते हैं,
इंटरनेट ईमेल के जमाने को भूल उस ख़त के जमाने में वापिस चलते हैं,
जहां हर दिल में बसती थी सिर्फ सच्चाई उन दिनों को याद करते हैं,
जहां यारी के बिन अपने ही घर का त्यौहार सूना लगता था,
उन यारी के किस्सों की आज समय पर बौछार करते हैं,
जहां बंदिशें न थी समाज की और न ही फरेब का पहरा था,
बेमतलब सा हर दिल से जुड़ा तब रिश्ता बहुत गहरा था,
अब यारी हो गई नाम की जो पैसों से तौली जाने लगी,
किसने कितना खर्चा किया इस बात पर टिकने लगी,
यारी उन दिनों की तब हर फर्क से अनजान हुआ करती थीं,
दोस्ती की महफ़िल भी सजती वहा पर जहां अमीरी गरीबी की बात न होती थी,
दुखी होता एक दोस्त तो उस वक़्त अश्क हर दोस्त की आंख से गिरते थे,
किसी एक की खुशी में सब अपनी हर हार को भूल जाते थे,
अब साथ होता खुशी में सबका पर आंखे नम अकेले ही होती है,
टूट जाती हर कसम दोस्ती की जब बात अपने अहम पर आती है,
रिश्ता होता तब गजब का जब दोस्त का परिवार भी हमारा परिवार बन जाता था,
आंख उठाता कोई दोस्त की बहन पर तो खून हमारा खोल जाता था,
अब दोस्त की बहन बहन नहीं मेहबूबा की फेहरिस्त में शामिल हो गई,
क्यूंकि अब दोस्ती दिलों की नहीं दिमाग और मतलब की हो गई

Language: Hindi
6 Likes · 7 Comments · 287 Views

You may also like these posts

पिटूनिया
पिटूनिया
अनिल मिश्र
जिंदगी हमने जी कब,
जिंदगी हमने जी कब,
Umender kumar
*अमर रहेंगे वीर लाजपत राय श्रेष्ठ बलिदानी (गीत)*
*अमर रहेंगे वीर लाजपत राय श्रेष्ठ बलिदानी (गीत)*
Ravi Prakash
जिंदा रहना सीख लिया है
जिंदा रहना सीख लिया है
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
निगाहें मिलाकर चुराना नहीं है,
निगाहें मिलाकर चुराना नहीं है,
डी. के. निवातिया
शीर्षक - स्वप्न
शीर्षक - स्वप्न
Neeraj Agarwal
करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
Rj Anand Prajapati
वर्षों पहले लिखी चार पंक्तियां
वर्षों पहले लिखी चार पंक्तियां
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
■ शुभ महानवमी।।
■ शुभ महानवमी।।
*प्रणय*
मासूमियत की हत्या से आहत
मासूमियत की हत्या से आहत
Sanjay ' शून्य'
3518.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3518.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
* मुस्कुराते हैं हम हमी पर *
* मुस्कुराते हैं हम हमी पर *
भूरचन्द जयपाल
मैं खाना खाकर तुमसे चैट करूँगा ।
मैं खाना खाकर तुमसे चैट करूँगा ।
Dr. Man Mohan Krishna
*अज्ञानी की कलम से हमारे बड़े भाई जी प्रश्नोत्तर शायद पसंद आ
*अज्ञानी की कलम से हमारे बड़े भाई जी प्रश्नोत्तर शायद पसंद आ
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Go wherever, but only so far,
Go wherever, but only so far,"
पूर्वार्थ
सब्जियाँ
सब्जियाँ
विजय कुमार नामदेव
मजबूत रिश्ता
मजबूत रिश्ता
Buddha Prakash
वीरमदे
वीरमदे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
शरद
शरद
Tarkeshwari 'sudhi'
वो प्यासा इक पनघट देखा..!!
वो प्यासा इक पनघट देखा..!!
पंकज परिंदा
सबको निरूत्तर कर दो
सबको निरूत्तर कर दो
Dr fauzia Naseem shad
इंतजार
इंतजार
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बाबा मुझे पढ़ने दो ना।
बाबा मुझे पढ़ने दो ना।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"सुपारी"
Dr. Kishan tandon kranti
कजरी (वर्षा-गीत)
कजरी (वर्षा-गीत)
Shekhar Chandra Mitra
जीवन वो कुरुक्षेत्र है,
जीवन वो कुरुक्षेत्र है,
sushil sarna
ए दिल्ली शहर तेरी फिजा होती है क्यूँ
ए दिल्ली शहर तेरी फिजा होती है क्यूँ
shabina. Naaz
Loading...