दो लफ्ज़
बेशर्म की कलम से
दो लफ्ज़ प्यार के
दो लफ्ज़ प्यार के गर मेरे नाम लिख देते।
तुम्हारे नाम ये किस्सा तमाम लिख देते।।
सुबह की धूप सी तुम एक बार हँस देती।।
तेरे हिस्से हरेक अपनी शाम लिख देते।।
बात चलती जो मोहब्बत में बादशाहत की।
हम अपने आपको तेरा गुलाम लिख देते।।
तुमको लगता है अगर गैर हूं तो गैर सही।
दूर से ही कभी मुझको सलाम लिख देते।।
उनको दी जन्नते जागीर मिलीं तुझसे खुदा।
बेशरम के लिए इक दो कलाम लिख देते।।
विजय बेशर्म
9424750038