दो मुक्तक
मुक्तक
(1)
हुई सत्य की जीत है चहुंओर है हर्ष।
होगा पुनः प्रारंभ अब भारत का उत्कर्ष।
दुर्भावनाओं के व्यंग्यवाण बहुत झेले,
किन्तु उस सत्पुरुष ने नहीं छोड़ा संघर्ष।
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(2)
बेटी है घर का प्रसून घर आंगन महकाए
बोल पराया धन उसे पर घर देते पठाए
लाड़ली का तो स्नेह ही जग में बड़ा अनमोल
फिर क्यों मतलबी संसार भ्रूण हत्या कराए।
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रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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