“दो बूँद बारिश की”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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दो बूँद बारिश की
क्या पड़ी
सारी कायनात
बदल गयी
झुलस रहे थे
तपिश से हम
घुटन महसूस होती थी
घर से बाहर
निकालना दूभर
हो चुका था
घर में भी राहत नहीं
जमीन और छतें
उबल रही थीं
पेड़ -पौधे भी
मुरझाने लगे
चिड़ियों ने चहचहाना छोड़
कहीं और दुबक गए
बिजली के पंखें
और एसी
सब बिजली के
मुहताज़ बन गए
पर आज दो बूँद बारिश की
क्या पड़ी
सारी कायनात
बदल गयी
तपती जमीन कुछ
शीतल हो गयी
पेड़ -पौधे खिलखिलाने लगे
पंक्षी सब चहचहाने लगे
दो बूँद बारिश की
क्या पड़ी
सारी कायनात बदल गयी !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
03.07.2024