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19 Aug 2024 · 1 min read

*दो नैन-नशीले नशियाये*

दो नैन-नशीले नशियाये
*********************

दो नैन-नशीले नशियाये,
सुख-चैन चुराये बहकाये।

यूँ देख रही चोरी – चोरी,
वो नैन-झुकाये शरमाये।

नजरें है कटीली सुरमायी,
वो लंक-लचीली मटकाये।

है नीर – दिखाये परछाई,
यूँ शाम सुबह है बहलाये।

चल चाल-चले ,चंपू गाये,
मय जाम भरे हैँ बरसाये।

जां मार मुकाये मनसीरत,
जब लार-रसीली टपकाये।
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

23 Views
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