दो नंबर की कमाई
किसी किसी को नसीब होती ,
यह दो नंबर की कमाई ।
ईमानदार मेहनत कर कर मर जाता ,
यह सदा बईमानों के हिस्से में आई ।
नगर पालिका के सफाई कर्म चारी
तनख्वाह पाते यूं तो भारी भारी ,
मगर किसी न किसी बहाने से,
नगर वासियों से वसूलती अतिरिक्त कमाई ।
अदालत में वकील और बाबू लोग ,
मेज के ऊपर से और मेज के नीचे से,
ऐंठते मोटी रकम जरूरतमंदों से ,
इसके बिना तो फाइल ही नहीं खिसकती भाई !
यह पुलिस वाले कौन से कम है !
रक्षक होकर भक्षक बन जाते हैं।
अपराधियों से पैसे खाकर सदा इन्होंने,
पीड़ितों पर ही अपनी धाक जमाई ।
इंसाफ पाना हो यदि दो इनके जेबों को गरमाई ।
इस दो नंबर कमाई में जाने क्या राज है ?
यह किसी मामूली इंसान को कभी रास न आई ।
यदि करे भी कोई प्रयत्न भी जरा सा,
तो उसने अपनी सदा साख गंवाई ।
यह खेल है बड़ा खतरनाक,
कोई बाजीगर ही इस क्षेत्र का कर सकता है यह काम ,
कोई सिद्धहस्त या कुटिल बुद्धि वाला ही ,
दे सकता है इस नीच कार्य को अंजाम ।
हमने तो अपने बजर्गों से सुना था कभी ,
इस दो नंबर में होती है ,
किसी के खून पसीने की कमाई ।
किसी की विवशता का लाभ उठाकर ,
ऐंठते हैं जो लोग यह हराम की कमाई।
वो दुर्जन सदा दुख उठाते जीवन में,
कभी तो प्रभु द्वारा इसकी कीमत जाती है चुकाई ।
मगर यह तो कलयुग है भाई !
बड़े जोर शोर से फल फूल रही है यहां ,
यह दो नंबर की कमाई ।
दुख संताप का इन बेईमानों को क्या होगा ,
इसमें तो पिसती है मात्र जनता बेचारी ।