*दो दिन सबके राज-रियासत, दो दिन के रजवाड़े (हिंदी गजल)*
दो दिन सबके राज-रियासत, दो दिन के रजवाड़े (हिंदी गजल)
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1)
दो दिन सबके राज-रियासत, दो दिन के रजवाड़े
दो दिन झंडे आसमान में, सब ने अपने गाड़े
2)
धरे रह गए दॉंव सभी जब, हुई समय से कुश्ती
बड़े पहलवानों के यों थे, भारी बड़े अखाड़े
3)
धूप सुहानी अच्छी लगती, दुर्बल तन को ज्यादा
बड़ी कठिनता से कटते हैं, वृद्ध-जनों के जाड़े
4)
काया जब तक चलती पाई, सब हॅंस-हॅंस कर बोले
अंत समय में सब जग रूठा, सबने पल्ले झाड़े
5)
हुकुम चलाए सबने दो दिन, तूती दो दिन बोली
महाकाल की ऑंधी ने फिर, सारे वृक्ष उखाड़े
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451