दो दिन की जिंदगी में …
दो दिन की जिंदगी में, क्या से क्या हो गया ?
जिसे माना हमने अपना, बेगाना हो गया ।
दो दिन की जिंदगी में …
मेरे दिल की बेबसी से, आहों के बोल फूटे,
जिसे समझा हमने अमृत, विषजाम हो गया ।
दो दिन की जिंदगी में …
दरिया ए जिन्दगी में, जिससे भी जोड़ा नाता,
वो छोड़ के भंवर में, खुद पार हो गया।
दो दिन की जिंदगी में …
हम किससे क्या कहेंगे, कहने से क्या मिलेगा ?
जिसके लिए था जीवन, मरने को कह गया।
दो दिन की जिंदगी में …
मुद्दत से जिस दर्द को, हमने छुपाये रखा,
वो तेरी बेरूखी से अब, सरेआम हो गया।
दो दिन की जिंदगी में …
✍ – सुनील सुमन