Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jun 2021 · 1 min read

दो तांका जापानी कविता- वन

दो तांका जापानी छंद- जंगल

1

वन मिटाते
दौलत की खातिर।
विनाश लाते,
मुफ्त में ऑक्सीजन
फिर कहां से पाते।।

***

2

पेड़ बचाएं
पौधारोपण कर।
ऋण उतारे।
हरियाली को लाये।
बीमारियां भगाये।।
***

कवि- राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक- “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष-म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

Language: Hindi
2 Likes · 483 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
“मां बनी मम्मी”
“मां बनी मम्मी”
पंकज कुमार कर्ण
💜सपना हावय मोरो💜
💜सपना हावय मोरो💜
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
सबसे ऊंचा हिन्द देश का
सबसे ऊंचा हिन्द देश का
surenderpal vaidya
वक्त से लड़कर अपनी तकदीर संवार रहा हूँ।
वक्त से लड़कर अपनी तकदीर संवार रहा हूँ।
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सावन सूखा
सावन सूखा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
!! ईश्वर का धन्यवाद करो !!
!! ईश्वर का धन्यवाद करो !!
Akash Yadav
24/243. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/243. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Ram
Ram
Sanjay ' शून्य'
"रंग अनोखा पानी का"
Dr. Kishan tandon kranti
*दाता माता ज्ञान की, तुमको कोटि प्रणाम ( कुंडलिया )*
*दाता माता ज्ञान की, तुमको कोटि प्रणाम ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
Wait ( Intezaar)a precious moment of life:
Wait ( Intezaar)a precious moment of life:
पूर्वार्थ
🚩मिलन-सुख की गजल-जैसा तुम्हें फैसन ने ढाला है
🚩मिलन-सुख की गजल-जैसा तुम्हें फैसन ने ढाला है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
विश्वास
विश्वास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हे राम तुम्हारा अभिनंदन।
हे राम तुम्हारा अभिनंदन।
सत्य कुमार प्रेमी
बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे रामजी
बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे रामजी
gurudeenverma198
कहां  गए  वे   खद्दर  धारी  आंसू   सदा   बहाने  वाले।
कहां गए वे खद्दर धारी आंसू सदा बहाने वाले।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
अलविदा कहने से पहले
अलविदा कहने से पहले
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
ek abodh balak
ek abodh balak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
//  जनक छन्द  //
// जनक छन्द //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दादी माँ - कहानी
दादी माँ - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वस्तु वस्तु का  विनिमय  होता  बातें उसी जमाने की।
वस्तु वस्तु का विनिमय होता बातें उसी जमाने की।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
* अपना निलय मयखाना हुआ *
* अपना निलय मयखाना हुआ *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
समझ मत मील भर का ही, सृजन संसार मेरा है ।
समझ मत मील भर का ही, सृजन संसार मेरा है ।
Ashok deep
माँ...की यादें...।
माँ...की यादें...।
Awadhesh Kumar Singh
छुपा रखा है।
छुपा रखा है।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
तेरी महबूबा बनना है मुझे
तेरी महबूबा बनना है मुझे
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
मज़हब नहीं सिखता बैर 🙏
मज़हब नहीं सिखता बैर 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
परदेसी की  याद  में, प्रीति निहारे द्वार ।
परदेसी की याद में, प्रीति निहारे द्वार ।
sushil sarna
Loading...