दो कदम…
आसमानों से ज़मीनों कोई नहीं मिलाता हैं!
सब तो झूठे हैं तक़दीर कोई नहीं बताता हैं!
मर जाते थे पहले रिश्तों को निभाते निभाते!
बुरे वक्त मे अब रिश्ता कोई नहीं निभाता हैं!
गिन रहा हैं वो मेरे एेब खुद के नहीं गिनता!
कभी खुद को आईना कोई नहीं दिखाता हैं!
दो कदम साथ तो चलते हैं पर रुक रुक कर!
ज़िन्दगी भर अब साथ कोई नहीं निभाता हैं!
?-AnoopS©
1st Dec 2019