दो एकम दो : बाल कविता
दो
दो एकम दो , दो दूनी चार
आओ करें धरा से प्यार
दो तिया छः , दो चौक आठ
याद करो सब अपना पाठ
दो पंजे दस , दो छंग बारह
स्कूल से न हो नौ दो ग्यारह
दो सत्ते चौदह , दो अट्ठे सोलह
अच्छे बच्चे सदा मन मोहे
दो नम अठारह , दो दहाई बीस
मानो सदा बड़ों की सीख ।
तीन
तीन एकम तीन , तीन दूनी छः
कड़वे बोल कभी न कह ।
तीन तिया नौ , तीन चौक बारह
सदा रहें हम मिलकर सारे ।
तीन पंजे पंद्रह , तीन छंग अठारह
संकट में हिम्मत मत हारेें
तीन सत्ते इक्कीस , तीन अट्ठे चौबीस
गुस्से में दाँत कभी न पीस
तीन नम सत्ताइस , तीन दहाई तीस
साथ हमारे सदा है ईश ।
डॉ रीता