!! दो अश्क़ !!
ज़श्न -ए- आज़ादी के मौके पर,आज़ तराना गायेंगे
वतन पे जो कुर्बान हुए हैं, याद सभी को आयेंगे
आंखों में आंसू होंगे और
लम्हें याद वो आयेंगे
छाती पर क्या गुजरी होगी
मां का दर्द बतायेंगे
बेटे के बचपन को याद कर
ख़ुद को रोक न पायेंगे
वतन पे………………………………….
हाथों का कंगन टूटा और
माथे का सिंदूर छूटा
जानें कितने ख़्वाब बुनें थे
ख़्वाबों का संसार टूटा
पत्नी के यादों के बादल
आंसू बन छूट जायेंगे
वतन पे…………………………………
तलवारों के ज़ख्म सहे पर
तिरंगा झुकने ना दिया
भारत मां के आन के खातिर
सर को अपने कटा लिया
शौर्य की गाथा लिखते-लिखते”चुन्नू”
दो अश्क़ नयन गिर जायेंगे
वतन पे…………………………………
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)