दोहे
शहद, सेब सिरका मिला,जल में लें नित मीत।
लीवर की पीड़ा मिटे, सूजन हो भयभीत।।
इसबगोल भूसी दही,पालक-रस का पान।
कब्ज मिटा ये स्वस्थता, करता हमें प्रदान।।
अश्वगंधा, शतावरी,आमलकी का चूर्ण।
रोज़ सुबह जल साथ लें, गठिया काटे पूर्ण।।
तुलसी-पात, गिलोय का, काढ़ा जब बन जाय।
पात-पपीता रस मिला, डेंगू मुक्ति दिलाय।।
बवासीर खूनी यहाँ,आँखें खूब लजाय।
काले तिल मक्खन सहित, पीड़ा दूर भगाय।।
(1)नींबू-रस पानी गरम, अम्ल, पित्त उपचार।
सुबह-शाम सेवन करें, देगा शीघ्र उबार।।
(2)नींबू का सेवन करें, उदर मिले आराम।
वात-पित्त-कफ़ दोष का, कर दे काम तमाम।।
(3)नींबू-रस, मेथी, हिना,बेसन,दही लगाय।
रूसी का उपचार ये, शोभा केश बढ़ाय।।
(4)अजवाइन,काला नमक, काली-मिर्च मिलाय।
सोंठ,हींग,बुकनी चबा, उदर रोग मिट जाय।।
(5)त्रिफला पानी में भिगो, धोना दृग आसान।
नेत्र-ज्योति बढ़ने लगे, देख लोग हैरान।।
(6)भोर करेला-रस पिएँ, जामुन से आराम।
हितकारी मधुमेय में, सहज बहुत है काम।।
(7)चूसें काली मिर्च को, दाडिम रस गरमाय।
खाँसी से राहत दिला, चैन सहज मिल जाय।।
(8)पीस दालचीनी मिला, शहद दिलाता चैन।
गरम नीर पीकर घटा, दमा न हों बेचैन।।
(9)बवासीर खूनी बहुत, करता है बेहाल।
दूध संग नींबू पिएँ,जीवन हो खुशहाल।।
(10)प्याज-रस संग नीर लें, खौलाएँ दस बार।
बालम-खीरा,जल पिएँ, पथरी का उपचार।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर