दोहे
दोहे-
इस तकनीकी दौर ने ,बदल दिए हालात।
रखता कौन सहेज अब,चिट्ठी में जज़्बात।।1
भौतिक सुख की लालसा,करवाती है पाप।
ईश भजन को छोड़ नर,करे अर्थ का जाप।।2
अच्छा मानव को नहीं ,लगता रोटी-साग।
मधुप सदृश वह घूमता,खोजे नित्य पराग।।3
रहा कमाता उम्र भर ,जर्जर हुआ शरीर।
श्रम से पर बदली नहीं,कभी ज़रा तकदीर।।4
खाकर गोली नींद की,सोया जहाँ ज़मीर ।
दूर फकीरी हो गई, बदल गई तकदीर।।5
गंगोदक से धो किया,तन को सदा पवित्र।
मिटी न मन की गंदगी,बदला नहीं चरित्र।।6
डाॅ बिपिन पाण्डेय